आफताब ढल गया बातों ही बातों में
आफताब ढल गया बातो ही बातो में
कब सुबह से शाम हुई पता नही बातो ही बातो में
तोता मैना की फिर शुरू नई ये कहानी हुई
कभी खत्म न हुई ये कहानी बातो ही बातो में,
उम्र सारी बीत गयी युही बातो ही बातो में
आफ़ताब तो ढल गया कब का
तेरी मेरी बातों का सिलसिला तो आज भी है
मुझसे रूबरू न सही ख़्वाबो में मुलाकात आज भी है l
ज़िन्दगी सारी मैं यूँही गुजर दूँगी अपनी
तू मेरे सामने हो बस बातो ही बातो में l
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✒ आलिया खान .....
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